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राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स 13 June 2019

केंद्र सरकार ने DBT ट्राइबल वेब पोर्टल लांच किया


केन्द्रीय जनजातीय मामले मंत्रालय ने हाल ही में DBT (Direct Benefit Transfer) ट्राइबल वेब पोर्टल लांच किया, इसका उद्देश्य लाभार्थी छात्रों को छात्रवृत्ति जारी करके राशि को सीधे उनके बैंक खाते में हस्तांतरित करना है।

DBT ट्राइबल वेब पोर्टल

इस पोर्टल के माध्यम से राज्यों को एकल प्लेटफार्म मिलेगा जहाँ पर लाभार्थियों का डाटा अपलोड किया जा सकती है। इस पोर्टल पर पूछताछ भी की जा सकती है तथा फीडबैक भी दी जा सकती है। इस पोर्टल में लाभार्थी के डाटा संग्रहण के लिए 29 कॉलम हैं। यह पोर्टल आधार तथा सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली से जुड़ा हुआ है, इससे नकली प्रविष्ठियां नहीं की जा सकेंगी।
इस पोर्टल में सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा डाटा अपलोड किया जाना अनिवार्य है। इससे केंद्र सरकार को जानकारी मिल सकेगी कि किस राज्य, जिले ब्लाक अथवा स्कूल लाभार्थियों को योजनाओं का लाभ मिल रहा है।

पृष्ठभूमि

केन्द्रीय जनजातीय मामले मंत्रालय अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए उत्थान के लिए कई योजनायें चला रहा है। इनमे से कुछ प्रमुख योजनायें निम्नलिखित हैं :
दो प्रमुख छात्रवृत्ति योजनायें : यह दो योजनायें हैं : प्री-मेट्रिक तथा पोस्ट-मेट्रिक शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति। इनका क्रियान्वयन राज्यों के माध्यम से किया जाता है।
उच्च शिक्षा : उच्च शिक्षा के लिए 246 प्रतिष्ठित संस्थानों जैसे IIT, आईआईएम इत्यादि में “टॉप क्लास एजुकेशन फॉर एस.टी. स्टूडेंट्स” योजना चलायी जा रही है, इससे प्रतिवर्ष लगभग 1000 छात्र लाभान्वित होते हैं।
एम.फिल व पीएचडी कार्यक्रम : केंद्र सरकार 750 लाभार्थियों के लिए राष्ट्रीय फ़ेलोशिप योजना चला रही है।
विदेश में शिक्षा : जो जनजातीय छात्र विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त करने चाहते हैं, उनके लिए भी केंद्र सरकार द्वारा छात्रवृत्ति योजना चलायी जा रही है, इस योजना का लाभ प्रतिवर्ष 30 छात्र उठा सकते हैं।
कुल लाभार्थी : पिछले पांच वर्षों में उपरोक्त पांच योजनाओं से अब तक 1.58 करोड़ लाभार्थियों को 31 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेश में 7,900 करोड़ रुपये आबंटित किये जा चुके हैं।

केंद्र ने सभी के लिए 2024 तक स्वच्छ पेयजल प्रदान करवाने का लक्ष्य निर्धारित किया


केंद्र सरकार ने 2024 तक देश में सभी लोगों को स्वच्छ पेयजल की सुविधा प्रदान करने का लक्ष्य रखा है। 2024 तक 100% घरों को पाइप के द्वारा पेयजल मुहैया करवाया जायेगा।

मुख्य बिंदु

भारत में पिछले कुछ समय पर प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता में कमी आई है। 1950 में प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता 5,000 लीटर थी, अब यह कम होकर 1400 लीटर ही रह गयी है। 1950 के बाद जनसख्या में तीन गुना इजाफा हुआ है जबकि जल की उपलब्धता कमी आई है।
उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखण्ड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता 5% से भी कम है। सिक्किम देश का एकमात्र ऐसा राज्य है जहाँ पर 99% घरों में नल के द्वारा पानी पहुँचाया गया है।

आवश्यकता

भारत में ग्रामीण क्षेत्र कृषि तथा घरेलु उपयोग के लिए मानसून पर निर्भर है, इसलिय जल के स्थायी साधन  व जल संरक्षण की काफी अधिक आवश्यकता है। जल की मांग व आपूर्ति के बीच अंतर काफी अधिक है। नव गठित जल मंत्रालय ने अधिसूचित करके कहा है कि घरों को पाइप के द्वारा पानी पहुंचाने के साथ-साथ जल संरक्षण पर भी अधिक बल दिया जायेगा। भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची के मुताबिक “जल’ का विषय राज्य सूची में आता है।

जल शक्ति मंत्रालय

केंद्र सरकार ने “जल शक्ति” नामक नए मंत्रालय का निर्माण किया है, इस मंत्रालय का निर्माण जल संसाधन, नदी विकास व पुनर्जीवन मंत्रालय व पेयजल व स्वच्छता मंत्रालय का विलय करके किया गया है। इसके द्वारा जल प्रबंधन व विनियमन एक भी विभाग द्वारा किया जाएगा।
2014 में नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बनीं सरकार ने मिशन स्वच्छ गंगा को पर्यावरण व वन मंत्रालय से अलग करके जल संसाधन में शामिल किया था। 2019 लोकसभा चुनाव अभियान के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने जल सम्बन्धी मुद्दों के लिए एकीकृत मंत्रालय के निर्माण का वादा किया था।
जल मंत्रालय को भारतीय जनता पार्टी के सांसद गजेन्द्र सिंह शेखावत को सौंपा गया है जबकि राम लाल कटारिया को राज्य मंत्री नियुक्त किया गया है।
भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान “नल से जल” योजना का वादा किया गया था, इसका उद्देश्य सभी घरों में पाइप के द्वारा पेयजल उपलब्ध करना है, यह योजना सरकार के जल जीवन मिशन का हिस्सा होगी।


केंद्र ने सभी के लिए 2024 तक स्वच्छ पेयजल प्रदान करवाने का लक्ष्य निर्धारित किया


केंद्र सरकार ने 2024 तक देश में सभी लोगों को स्वच्छ पेयजल की सुविधा प्रदान करने का लक्ष्य रखा है। 2024 तक 100% घरों को पाइप के द्वारा पेयजल मुहैया करवाया जायेगा।

मुख्य बिंदु

भारत में पिछले कुछ समय पर प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता में कमी आई है। 1950 में प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता 5,000 लीटर थी, अब यह कम होकर 1400 लीटर ही रह गयी है। 1950 के बाद जनसख्या में तीन गुना इजाफा हुआ है जबकि जल की उपलब्धता कमी आई है।
उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखण्ड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता 5% से भी कम है। सिक्किम देश का एकमात्र ऐसा राज्य है जहाँ पर 99% घरों में नल के द्वारा पानी पहुँचाया गया है।

आवश्यकता

भारत में ग्रामीण क्षेत्र कृषि तथा घरेलु उपयोग के लिए मानसून पर निर्भर है, इसलिय जल के स्थायी साधन  व जल संरक्षण की काफी अधिक आवश्यकता है। जल की मांग व आपूर्ति के बीच अंतर काफी अधिक है। नव गठित जल मंत्रालय ने अधिसूचित करके कहा है कि घरों को पाइप के द्वारा पानी पहुंचाने के साथ-साथ जल संरक्षण पर भी अधिक बल दिया जायेगा। भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची के मुताबिक “जल’ का विषय राज्य सूची में आता है।

जल शक्ति मंत्रालय

केंद्र सरकार ने “जल शक्ति” नामक नए मंत्रालय का निर्माण किया है, इस मंत्रालय का निर्माण जल संसाधन, नदी विकास व पुनर्जीवन मंत्रालय व पेयजल व स्वच्छता मंत्रालय का विलय करके किया गया है। इसके द्वारा जल प्रबंधन व विनियमन एक भी विभाग द्वारा किया जाएगा।
2014 में नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बनीं सरकार ने मिशन स्वच्छ गंगा को पर्यावरण व वन मंत्रालय से अलग करके जल संसाधन में शामिल किया था। 2019 लोकसभा चुनाव अभियान के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने जल सम्बन्धी मुद्दों के लिए एकीकृत मंत्रालय के निर्माण का वादा किया था।
जल मंत्रालय को भारतीय जनता पार्टी के सांसद गजेन्द्र सिंह शेखावत को सौंपा गया है जबकि राम लाल कटारिया को राज्य मंत्री नियुक्त किया गया है।
भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान “नल से जल” योजना का वादा किया गया था, इसका उद्देश्य सभी घरों में पाइप के द्वारा पेयजल उपलब्ध करना है, यह योजना सरकार के जल जीवन मिशन का हिस्सा होगी।

थावरचंद गहलोत को राज्यसभा का नेता चुना गया


केन्द्रीय सामाजिक न्याय व सशक्तिकरण मंत्री थावरचंद गहलोत को राज्यसभा का नेता चुना गया है। राज्यसभा के नेता का चयन केंद्र में सत्ताधारी दल द्वारा किया जाता है। 2014-19 में राज्यसभा के नेता अरुण जेटली थे।

थावरचंद गहलोत

71 वर्षीय थावरचंद गहलोत मध्य प्रदेश से हैं। वे भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख दलित नेता हैं। सांसद होने के अलावा वे भारतीय जनता पार्टी के सदस्य तथा महासचिव भी हैं। इससे पहले वे विधानसभा, राज्यसभा तथा लोकसभा के सदस्य रह चुके हैं। वे 2012 में राज्यसभा के सदस्य बने थे, बाद में 2018 में उन्हें पुनः मध्य प्रदेश से चुना गया था। उनका कार्यकाल 2024 में समाप्त होगा। गौरतलब है कि राज्यसभा के सदस्य का कार्यकाल  वर्ष का होता है।

राज्यसभा का नेता

राज्यसभा का नेता वह व्यक्ति होता है जिसके पास कैबिनेट मंत्री तथा मनोनीत मंत्री का दर्जा प्राप्त हो। राज्यसभा का नेता राज्यसभा के पदेन अध्यक्ष (उपराष्ट्रपति) के सामने प्रथम कतार में बैठता है। गोपालास्वामी अय्यंगर राज्यसभा के पहले नेता थे।

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